
चन्दौली जिले के दिव्यांग बच्चों को बेहतर और तकनीकी युक्त शिक्षा देने के लिए जिला दिव्यांगजन विभाग इंटर कॉलेज खोलने की तैयारी में है। जिससे कि उन्हें एक छत के नीचे कक्षा एक से बारहवीं तक की शिक्षा मुहैया हो सके। इसके लिए जिले के तीन ब्लाकों में जमीन भी देखी जा चुकी है। इसे बनाने में लगभग पांच करोड़ रुपये लग सकते हैं।
जमीन फाइनल होते ही इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। ताकि वहां से धन मिलते ही ऐसे बच्चों के लिए अलग से विद्यालय की स्थापना कर उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कक्षाओं में गुणवत्तायुक्त शिक्षा दी जा सके। जिले में अभी दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से कोई इंटर कॉलेज नहीं है। इन बच्चों का दाखिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित परिषदीय विद्यालयों और माध्यमिक शिक्षा विभाग के इंटर कालेजों में होता है। जहां उनके लिए पर्याप्त और बेहतर सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाती हैं।
ऐसे में इन बच्चों को दिक्कत न हो इसके लिए अलग से इंटर कॉलेज खोलने की तैयारी है। जिसमें कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक की शिक्षा दी जाएगी। वहां पर दिव्यांग बच्चों के अनुकूल अत्याधुनिक कक्षाएं, खेल मैदान, खेल की विभिन्न सुविधाएं, ब्रेल लिपि, विशेष शिक्षक आदि के इंतजाम किए जाएंगे।
इसके लिए दिव्यांगजन विभाग ने जिले के सदर, सकलडीहा और बरहनी ब्लॉक में जमीन भी देख ली है। अब सिर्फ एक जगह जमीन चिह्नित कर उसे शासन के पास भेजा जाना है। वहां से निर्माण की स्वीकृति और धनराशि जारी होते ही इंटर कालेज के निर्माण पर काम शुरू करा दिया जाएगा।
धरहरा में बनकर तैयार है ममता विद्यालय
मानिसक दिव्यांग बच्चों के लिए सकलडीहा तहसील के धरहरा में ममता बाल मंदित मानिसक विद्यालय भी बनकर तैयार हो गया है। वहां अब ऐसे बच्चों को प्रवेश दिलाने की तैयारी चल रही है। करीब तीन साल से इस भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। इस पर करीब 60 करोड़ खर्च किए गए हैं। इसके साथ ही इंटर कालेज खुल जाने से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा क्षेत्र में बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे।
एक ही छत के नीचे 12वीं तक की शिक्षा देने की तैयारी
जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी राजेश नायक बताते हैं कि दिव्यांग बच्चों को एक छत के नीचे कक्षा एक से बारहवीं तक की शिक्षा देने की तैयारी है। इसके लिए इंटर कॉलेज बनाने की तैयारी है। जिले के तीन ब्लाकों में जमीन देखी गई है। जिला प्रशासन से जमीन फानइल होते ही इसे शासन को भेज दिया जाएगा। इसके निर्माण से दिव्यांग बच्चों को बेहतर, उनके अनुकूल और गुणवत्तायुक्त, रोजगार परक शिक्षा मिल सकेगी।



















