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PRAHAR DUSTAK: किसानों का बनेगा सिबिल स्कोर, आसानी से मिलेगा ऋण, एआई की ली जाएगी मदद

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प्रहार दस्तक / लखनऊ । प्रदेश के किसानों का सिबिल स्कोर की तर्ज पर किसान स्कोर बनेगा। यह स्कोर किसानों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य लेनदेन के आधार पर तय होगा। इसके आधार पर किसानों को आसानी से ऋण मिल सकेगा। प्रयास तो यह भी है कि अच्छा स्कोर वाले किसानों को ऋण देने में वरीयता के साथ ही ब्याज में भी छूट दी जाए।

प्रदेश के किसानों का खसरा नंबर, खेत में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों और आधार कार्ड को आनलाइन किया जा रहा है। यह कार्य पूरा होते ही किसान डाटा बैंक तैयार हो जाएगा। किसानों द्वारा क्रेडिट कार्ड और अन्य माध्यमों से लेने वाले ऋण, कृषि उत्पाद की आनलाइन बिक्री आदि को जोड़ते हुए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से किसान स्कोर बनाने की तैयारी है। यह सिबिल स्कोर की तरह ही होगा।

इस स्कोर के जरिए किसानों को अलग से लाभ दिलाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार, विश्व बैंक की टीम और सरकारी क्षेत्र की बैंकों के बीच बातचीत चल रही है। विश्व बैंक में डिजिटल एग्रीकल्चर एंड इनोवेशनके ग्लोबल लीड परमेश शाह के मुताबिक किसान स्कोर तैयार होने से किसानों के साथ ही बैंक को भी फायदा मिलेगा।

बेहतर तरीके से लेनदेन करने वाले किसानों को ऋण देने से मूलधन डूबने की आशंका खत्म हो जाएगी। इससे बैंकों का भी मुनाफा बढ़ेगा। यही वजह है कि बैंकों से इस मुद्दे पर बातचीत की जा रही है कि बेहतर लेनदेन करने वाले किसानों को सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाए। उम्मीद है कि बैंक इस मुद्दे पर राजी हो जाएंगे

*बढ़ चुकी है किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा*
प्रदेश में करीब तीन करोड़ किसान पूरी तरह से खेती पर निर्भर हैं। करीब 1.10 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड बना है। अन्य का बन रहा है। पिछले वर्ष करीब 1.39 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया था। अब केंद्र सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड पर पांच लाख तक के ऋण पर तीन फीसदी की छूट कर दी है। अभी तक तीन लाख के ऋण पर छूट थी। फिर भी करीब 15 से 20 फीसदी किसान समय से ऋण अदायगी नहीं कर पाते थे। इसी तरह ट्रैक्टर, हैरो सहित अन्य कृषि उपकरण लेने वाले करीब 20 से 25 फीसदी किसान ऋण जमा करने में फिसड्डी साबित होते रहे हैं। कई बार सरकारों को इन किसानों के लिए ऋणमाफी योजना लानी पड़ी है। अब स्कोर तय होने से ऐसे किसानों को खेत के आधार पर अधिक ऋण नहीं मिलेगा बल्कि स्कोर के आधार पर ऋण दिया जाएगा। ऐसे में फिसड्डी साबित होने वाले किसानों की संख्या घटेगी और बैंकों की रकम नहीं डूबेगी।

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